Hindi Kavita - "Jayhind " I हिन्दी कविता - " जयहिंद "
हिन्दी कविता - "जयहिंद"
" जन्म लिया जिस धरती पर,
आओ सब शीश झुका लें,
माटी चंदन लगा भाल पर ,
सब मिल कसमें खालें ।।"
"छिप छिप कर आता है शत्रु,
क्रूर उसकी छाया है,
छिप छिपकर है लहू बहाता ,
बहुत ही इठलाया है।।"
"काश्मीर पर नजर उठाता ,
ये उसकी कारिस्तानी,
ब्लुचिस्तान तो नहीं संभलता,
कायर पाकिस्तानी ।।"
"दुश्मन की बस्ती में जाकर,
चल फिर उत्पात मचा दें,
दुश्मन का सीना हम तोड़ें ,
उसको ये समझा दें ।।"
" गीदड़ गीदड़ ही है रहता,
कायर रहता कायर,
कुत्तों का बारात तुम्हारा ,
भौंक रहे देहरी पर ।।"
"आतंक का सम्राज्य तुम्हारा,
अब तक अंतिम सांसे लेगा,
माता का चंदन अभिनंदन,
दर्प जा दलित करेगा ।।"
" छेड़ जगाया शेरों को है,
चल उसे दहाड़ सुना दें,
काश्मीर तो सदा हमारा ,
तिरंगा लाहौर फहरा दें ।।"
"बहुत हुआ अब आओ मिलकर,
स्वर हम एक निकालें,
माता का वंदन हम कर लें,
आओ कसमें खा लें ।।"
( This poem has been dedicated to Our Hiro
wing commander
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