हिंदी कविता - " माँ "





"चेत ,अचेत और अवचेतन में,
जगा जगा था या सोया,
अंक लिया था भींच तुम्हीं ने,
आँख खुली जब था  रोया ।।"

" तब कहाँ पता था जग क्या होता,
क्या होता तम का साया,
नजर हटी बस पल भर की भी,
रोया मैं और चिल्लाया ।।"

"नटखट और शैतानी मेरी,
गहरी नींद में थी सोई,
उठी तमाचा गुस्से में फिर,
मारा मुझको,पर तूँ क्यूँ रोई।।"

"हँसी तुम्हारी ,गुस्सा तेरा,
अब समझ में आता है,
वात्सलता ,स्नेह , प्रेम अनूठा,
परिभाषा समझाता है ।।"

"गीली मिट्टी को तुमने ही ,
लगा हाथ तराश दिया,
सुंंदरता की  परिभाषा दी,
जीवन में भर साँस दिया ।।"

The Mother, Mother affection, mother is everything,mother is God
Tender love of the mother


kavita ki kuchh panktiyan

"आदमी है इंसा बन जाता,
उपकार तुम्हारा जग पर है,
ऋण उऋण नहीं हो सकता,
ये ऋण तुम्हारा जग पर है।।"

"समय बडा ही कर्कश होता,
छीन के ले वह जाता है,
पर नहीं, समय बस भ्रमित ही रहता,
अलग कहाँ कर पाता है।।"

"साथ हमेशा ही तुम रहती,
सबके साथ तुम्हीं होती,
मुझमें,उसमें,उनमें हे माँ,
सबमें तुम जीवित होती ।।"

"जब झंझावात सर पर होता,
जब तुफां वेग नश्वर होता,
जब राह भटकाता तम होता,
हताश निराश जब मन होता ।।"

"पकड हमारी ढीली होकर,
छूटता जाता जब हर डाल ,
चक्रब्यूह की रचना कर जब,
सामने आ जाता है काल ।।"

"घनघोर अंधेरा छा जाता ,
जब नहीं कोई शमां होता,
गहरी पीडा में चिल्लाते,
मुँह पर तब माँ माँ होता ।।"

" चोट लगी जब दर्द करारा,
लगा अचानक दम निकला,
तब  झूठ नहीं सच कहता हूँ ये,
नाम माँ का बेसाख्ता निकला ।।"

"दर्द हमें जब सहा न जाता,
नाँव भँवर हैं जा फंसते,
अल्लाह ,ईश्वर कहते होंगे,
हम तो बस माँ माँ कहते ।।"

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