Partition of Property in Muslims
Partition of Property in Muslims मुसलमानों में संपत्ति का बंटवारा
Law Talk
(Part-2)
मैंने Law
Talk (part-1) में इस बात की चर्चा की थी कि "मुस्लिम विधि " के श्रोत
क्या हैं . इस Article में हम जानेंगे कि भारत में
मुसलमानों के लिए संपत्ति बंटवारा के क्या नियम हैं . यदि आप
संपत्ति के विभाजन के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को ध्यान से अंत तक पढ़ें l
Partition of Property in Muslims
अब हम जानते हैं कि मुस्लिम विधि का मूल श्रोत
"आसमानी आवाज है यानी खुदा की आवाज है जो "पवित्र कुरान" कहलाता है
और जिसका पैगाम हमें पैगम्बर मुहम्मद साहब ने दिया l "
अब हम पवित्र कुरान के हिदायत एवं प्रचलित भारतीय
मुस्लिम विधि में संपत्ति बंटवारा के क्या नियम हैं इसके बारें में जानेंगे l
How the property is divided in Muslim of India ?
"पवित्र कुरान" ने हिदायत दी है कि
" माता पिता ने और नजदीकी रिश्तेदारों ने जो कुछ भी संपत्ति छोड़ा उसमें पुरुष
का हिस्सा है और औरत का हिस्सा है चाहे संपत्ति कितना भी अधिक और कितना भी कम छोड़ी
गयी हो "
भारत में Mohammdon
Law (Shariat ) Application Act 1937 में जिसे आमतौर पर शरियत कानून कहा जाता है भारतीय
मुसलामानों के उत्तराधिकार ,निकाह , तलाक के नियम इत्यादि के बारे में जानकारी देता है l भारत में हिन्दुओं और मुसलामानों के अलग अलग personal law हैं जो एक दुसरे से भिन्न
हैं l
जो कोई भी जिस धर्म में जन्म लेता है उनपर उन्ही
धर्म के मुताबिक बंटवारा का नियम लागु होता है l
द्वारा निर्धारित होता है l ये तीन प्रकार के उत्तराधिकारी इस प्रकार हैं -
1) शेयरर्स (sharers)-
मृतक के
दफ़नाने व अन्य आवश्यक खर्च , ऋण इत्यादि के बाद जो
संपत्ति शेष बचाती है उनमे शेयरर्स का हिस्सा नियत है जो शेयरर्स प्राप्त करते हैं
l सरल भाषा में कहा मुसलमानों में तीन प्रकार के
उत्तराधिकारी होतें हैं जिनका अंश नियमानुसार मुस्लिम विधि जाय तो ये पहले हकदार
हैं l
2) रेजिडूअरी (rejiduary) - शेयरर्स जब अपना नियत(fixed) हिस्सा प्राप्त कर लेते हैं तो जो शेष बचता है उसमें रेजिदडूअरी (rejiduary) अपना हिस्सा प्राप्त करते है
3) distance kindred - जब sharers और rejudiary नहीं होते तब distance kindred जो सगोत्र रिश्तेदार होते हैं हिस्सा प्राप्त करते हैं
मुस्लिम में अंश का विभाजन का अपना नियम है जिसे इस प्रकार समझा जा सकता है :-
मृतक कि पत्नी को एक चौथाई अंश (1/4) मिलेगा यदि कोई संतान नहीं है
लेकिन यदि संतान है तो वह आठवां अंश (1/8) प्राप्त करेगी l
मृतक के माता पिता में से
प्रत्येक छठा हिस्सा (1/6) प्राप्त करेंगे यदि मृतक को पुत्र है लेकिन किसी
पुत्र के ण रहने पर माता पिता एक तिहाई (1/3) अंश प्राप्त करेंगे l ध्यान रहे कि मृतक को यदि भाई बहन है तो माँ को 1/6 अंश मिलेगा
यदि कोई मृतक पुरुष के
पुत्र या माता पिता या माता पिता नहीं हैं बल्कि एक बहन है तो ऐसे पुरुष द्वारा
छोड़ी गयी संपत्ति में इकलौती बहन 1/2 भाग यानि हिस्सा प्राप्त करेगी l
यदि पुरुष कि मृत्यु के बाद
उनका पुत्र व पुत्री हों तो यदि एक पुत्री है है तो वह 1/2 अंश प्राप्त करेगी
लेकिन यदि दो या दो से अधिक पुत्री हो तो पुत्रियाँ 2/3 अंश प्राप्त करेगी l याद रहे यदि पुरुष केवल पुत्री को छोड़कर मरता है तब पुत्री शेयरर्स (sharers) कहलाती है लेकिन यदि उसे पुत्र भी है तब वह रेजिदडूअरी (rejiduary) कहलाती है l पिता कि संपत्ति में पुत्र
का अंश पुत्री कि तुलना में दुगुना होगा l
यदि कोई महिला मरे और उसे
भाई हो तो भाई हिस्सा प्राप्त करेगा यदि महिला को संतान नहीं है l यदि महिला को संतान नहीं है बल्कि एक बहन है तो बहन 1/2 अंश प्राप्त
करेगी लेकिन यदि दो बहन है तो वे 2/3 अंश प्राप्त करेगी l यदि वह भाई व बहन छोड़कर स्वर्गवास हुई तो भाई बहन के अंश कि तुलना
में दुगुना प्राप्त करेगा l
निष्कर्ष -
निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि इस्लाम में पुरुष और महिला के संपत्ति
में बंटवारा के अपने नियम बने हुए हैं जिसमें पुरुष और महिला दोनों को निश्चित अंश
मिलता है l किसी भी ब्यक्ति की मृत्यु
होती है तो सर्वप्रथम उसके दफनाने का साथ अन्य आवश्यक खर्च को निकाला जाता
है ,फिर यदि मृतक के ऊपर यदि कोई कर्ज है तो उसको
निकाला जाता है, फिर इन खर्चों के बाद जो
संपत्ति शेष बचती है उसे उनके उत्तराधिकारियों के मध्य बंटवारा किया जाता है l
Source - The Book -An Outline Of Mohemmdon
Law , Muslim Law By Zakir Ali (Ekta Law Agency ) , माननीय उच्चतम न्यायलय के
निर्णय ( Civil Appellate Jurisdiction ,
civil appeal no 4731-4732 of 2010 T Ravi & Anr. Vs B.
Chinna Narasimha 7 others )
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