Munger ,Bihar , India

                                                    Munger Bihar India 

                     

आवश्यक तथ्य -

मुंगेर बिहार का एक प्रसिद्ध जिला है l यह पूर्वी  बिहार के 36 जिला में से एक  जिला है जो 1419.7  वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है l मुंगेर जिला में मुंगेर बिहार का 7 वा सबसे बड़ा नगर  है जो लगभग 68 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है l पहले मुंगेर के अन्दर ही बेगुसराय,खगड़िया ,जमुई लखीसराय और शेखपुरा समाहित थे लेकिन अब सब अलग होकर स्वतंत्र जिला बन चुके हैं l  

एशिया स्तर का वन अभ्यारण्य "भीमबाँध " यहीं है l यहीं खड़गपुर से थोडा आगे गंगटा जंगल शुरू हो जाता है जिसे आप चित्र में देख सकते हैlभीम बाँध में गर्म जल का कुंड है जिससे भाप निकलती रहती है l देशी विदेशी पक्षियों का भी निवास क्षेत्र यह भीमबांध है l 

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ऐतिहासिक महत्व 


मुंगेर गंगा नदी के किनारे बसा है l यंहा कई मुस्लिम शासक हुए l मुहम्मद बिन तुगलक, खिलजी तुगलक, बंगाल के नवाब ,मुग़ल शासक और फिर प्रसिद्ध मीर कासिम (1760- 72) जो अपने ससुर मीर जाफ़र को हटाकर बने l मीर कासिम का लाल दरवाजा  आज भी है l इसका पुराना नाम मुद्गालपूरी था जो  बुद्ध के शिष्य मुद्गलयायाना के नाम पर पड़ा था l
दर्शनीय स्थल -

चंडीस्थान , कर्णचौरा ,योग विश्वविद्यालय ,सिगरेट कारखाना , जमालपुर रेलकारखाना ,सीताकुंड इत्यादि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं l

विशेष -

शायद ही कोई हो जिसने  मुंगेर का नाम नहीं सुना हो l सारी दुनियां में मुंगेर की शोहरत है l मुंगेर का मालदह आम ,मुंगेर का परवल, मुंगेर कि रेबड़ियां,मुंगेर कि दही ........ खाने के बाद उंगली से चिकनाई कैसे छूटे ये मुसीबत ... मुंगेर के दही के बारे में एक छोटी कहानी प्रसिद्ध है l संदलपुर ,मुंगेर में एक दुर्दांत अपराधी था जिसको सजा हो गयी थी और वो जेल में लम्बी अवधि से बंद था l मकरसंक्रांति के अवसर पर उसकी बूढी माँ ने मिटटी के कढ़ाई में दही जमाकर ले गयी ,दही के ही अन्दर पिस्तौल छुपी थी l दही इतना सघन था कि जेलकर्मियों को भनक भी ना लगी l फिर दही खा कर बेटा खुद को उसी पिस्तौल के सहारे जेल से आजाद करने में सफल हुआ l
मुंगेर कि बन्दुक फैक्ट्री ,और सिगरेट फैक्ट्री ,(ITC)जो कभी सरकार को करोडो रूपये देती थी ....मुंगेर जमालपुर का कारखाना जिसने भारत को पुरे विश्वा में पहचान दिलाई l एशिया का सबसे बड़ा कारखाना ... ना जाने कितने कारीगरों कि जन्मस्थली .. बन्दुक फैक्ट्री जो अपने में कितने हुनरमंद शिल्पकारों को समेटे हैं l ये चिंता का विषय है कि इसी बन्दुक कारखाने से निकले कारीगर कालांतर में अवैध आग्नेयशास्त्र की भट्टी जलाते हैं l ताजा मामला Ak 47 की बरामदगी है l
मुंगेर के तवायफखाने ,वेश्याओं के कोठे भी यंहा थे "श्रवण बाज़ार " जिसका जिक्र प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कालजयी रचना "गबन " में की है , ना जाने इसने कितने रसिकों को संभाला है कोन जाने l
मुंगेर अपने अन्दर ना जाने कितने इतिहास को सहेजे हैं l गंगा के तट पर अवस्थित ...दानवीर कर्ण की अंग प्रदेश की नगरी ... मीर कासिम की मुगलिया सल्तनत का भग्नावशेष ...मीर कासिम का अबूझ किला ...मुंगेर का किला गंगा नदी के तट पर है ...कल ...कल...बहती गंगा सदियों से बहकर मुंगेर को देख रही है l ना जाने कितने उतार चढ़ाव इसने देखे हैं इस मुंगेर के किले ने lअपने वैभवशाली और दैदीप्यमान अतीत को याद करता मीर कासिम का किला जिसका प्रवेशद्वार " लाल दरवाजा " कहलाता है l मुहम्मद बिन तुगलक के नियंत्रण में ये किला जो 13 वीं सदी में बना था l इसके अन्दर कर्णचौरा (एक आयताकार संरचना )है l
इस किले ने कई उतर चढ़ाव देखे हैं l मुगालियाशान से लेकर ईस्ट इंडिया कम्पनी ...फिर फिरंगियों कि स्याह दहशत l
किले कि खाई गंगानदी में होकर खुलती है l इस किले में कई सारे धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्मारक बना रखे गए थे l पीर शाहनुफा की कब्र , मुल्ला सैंद मुहम्मद कि कब्र ,शाह सुजा का महल , कष्टहरणी घाट ,सांझीघाट l यंहा इस किले को ध्यान से देखने पर बहुत सी अद्भुत चीजें देखने को मिल सकती हैं l जैसे गैर हिन्दू और कट्टर मुस्लिम शासकों के किले में हिन्दू देवी चंडी मंदिर ...यह रहस्यमयी किला है l 
" चंडिका शक्ति पीठ " शहर मुख्यालय से मात्र 4 किलोमीटर दूर .. एक शमशान घाट  से  घिरा माँ का मंदिर है l शमशान घाट से घिरे होने के कारण इसे शमशान चंडीथान भी कहा जाता है l नवरात्र के दौरान कई साधक तत्र  सिद्धि के लिए भी जमा होते हैं l मान्यता है कि इस स्थल पर माता का नयन (आँख ) गिरा था l अतः आँखों से असाध्य रोगों से पीड़ित लोग भी यंहा पूजा अर्चना करने को आते हैं l जनश्रुति है कि यंहा का काजल से नेत्रविकार की समस्या दूर होती है l
मुंगेर ... दानवीर कर्ण की भूमि ...कर्ण .. l
      " जिसके पिता सूर्य थे ,माता कुंती सती कुमारी   
        उनका पालन हुआ धार पार बहती हुई पिटारी , 
       सूर्य वंश में पला ,चखा नहीं जननी का क्षीर , 
       निकला कर्ण सभी युवकों  तब भी अद्भुत वीर l" 
     महाराज कर्ण की भूमि और नगरी ...मुंगेर .... कहा जाता है कि कर्ण पूजा आदि से निपट कर सबसे पहले जिस विप्र को देखते थे उसे उसके अनुसार मुहमाँगा दान देते थे l अपने शारीर के वजन भर सोना रोज गरीबों  में दान करते थे ...दानवीर कर्ण की धरती मुंगेर ..
"सांझी घाट" (अपभ्रंश नाम सोझी घात ) कि रहस्यमयी चुप्पी ... कहा जाता है कि किसी अंग्रेज ने सांझी घाट के पीर बाबा के मजार पर गोली चलायी थी और पत्थर से खून निकला था ...आज भी सांझी घाट के मजार के पत्थरों पर खून के छीटें देखे जा सकते हैं l सांझी घाट के शमशान की अलौकिक शक्ति lमुंगेर ने क्या नहीं दिया है देश को ...बिहार के पहले मुख्यमंत्री बाबू श्री कृष्ण सिंह , राष्ट्रकवि दिनकर ( इनका परिचय देना सूरज को दिया दिखाना है ) ठुमरी के चितेरे बुलबुल महाराज की कर्मस्थली ... पंडित आनंदी झा ( "अबकी टेक हमारी ,लाज रखो गिरधारी " की ह्रदय स्थली मुंगेर 
अभी "योग विश्वविद्यालय" मुंगेर की सानी नहीं है कंही ,,,योग की अलख जलाता हमारा मुंगेर ...गंगा यमुना तहजीब का नायब नमूना ..कौमी एकता और भाई चारे की मिशाल ...मुगदलपुर /मुंगेर
सभी चीजों को कोई हासिल कर सकता है पर कुछ चीजें हैं जो साथ नहीं ले जाई जा सकती ..और उनमे मुंगेर की जिन्दादिली और मुंगेर की नसाफत विशेष रूप से आती है l
और आज की युवा पीढ़ी अगर मुंगेर को नहीं जानती है तो दुर्भाग्य की बात है l इसका अर्थ नहीं की केवल नयी पीढी का दुर्भाग्य है , दुर्भाग्य मुंगेर का भी है l


                                                                   

                                                                                                          लेखक - श्री आदित्य शंकर 
(ये लेख हमें श्री आदित्य शंकर जी से प्राप्त हुआ है l साभार प्रकाशित )

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