अनकही बातें
अनकही बातें
अनकही बातें
***********************नदियाँ क्यों उफनती हैं,
हवायें मचाती हैं शोर क्यूँ ?
डालियाँ क्यों लहराती हैं ?मानों झुंझलाती हैं,
अलसाया सा,अनमना सा,होता है भोर क्यूँ ?
सांझ धुआं धुआं सा क्यूं है ?
गुमसुम सी हो गई है रात क्यूँ ?
क्यों अचानक कोई चिडिया चीख उठती है,चिल्लाती है,
क्यों सन्नाटे से घबडाकर,सन्नाटे को चीर जाती है ?
कहीं दूर से आ रही कुत्ते के रोने की आवाज क्यूँ ?
क्यों घबडाता है,क्यों रोता चला जाता है ?
होता है अक्सर ये अहसास क्यूँ,
प्रकृति भी लग रही उदास क्यूँ।।
शायद रह गया है सबमें कुछ अव्यक्त ,
अंतस में जो तुफान लहराती हैं,
कह ना पाया जो अनकही बाते,ll
बाहर आने को आतुर लहरा लहरा जाती हैं।
- Onkar
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