मधुबनी पेंटिंग्स

मधुबनी पेंटिंग्स 

madhubani pantings , मधुवनी पेंटिंग्स
मधुवनी पेंटिंग्स

भारतीय ट्रेनों में मधुबनी पेंटिंग्स को देखकर जापान ने भी मधुबनी पेंटिंग्स के कलाकारों को अपने यहां के ट्रेनों में पेटिंग्स उकेरने के लिए जब आमंत्रित किया तो अचानक एक बार फिर मधुबनी पेंटिंग्स trend कर रहा है। आलेख इसी संदर्भ में है।

मधुबनी पेंटिग्स क्या है ?


 मधुबनी पेंटिंग्स एक भारतीय लोककला है । मधुबनी भारत के बिहार राज्य का एक जिला है जहां इस पेंटिंग्स का उद्भव हुआ।
कहा जाता है कि माता सीता जब जंगल में निवास कर रही थी तब जंगल में अपने झोपड़ी को जंगल में उपलब्ध पत्तों,फूलों के रस मिट्टी वैगेरह से जमीन पर चित्रकारी किया करती थी।यहीं से शायद मधुबनी पेंटिग्स का उद्भव हुआ। हो सकता है  प्रथम रंगोली की शुरुआत माता सीता ने की हो। माता सीता मिथिला की थीं। वर्तमान में यह क्षेत्र मधुबनी,दरभंगा,सीतामढ़ी से लेकर नेपाल का जनकपुर क्षेत्र तक आ जाता है।नेपाल बाले मानते हैं कि सीता माता का जन्म जनकपुर नेपाल में हुआ जबकि हम बिहार बाले उनका जन्म सीतामढ़ी मानते हैं।
तो शायद सीता माता द्वारा की गई चित्रकारी आज भी बिहार में जीवित है और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर रही है।

मधुबनी पेंटिंग्स की विशेषतायें

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यह पेंटिंग्स प्रारंभ में तो घरेलू महिलाओं द्वारा ही उकेरा जाता था जिसमें घरेलु पारम्परिक रंगों का प्रयोग होता था । विभिन्न पत्तों का रस लेकर हरा रंग और फूलों के रस से विभिन्न रंग एवं चावल को पीसकर सफेद रंगों का उपयोग किया जाता था।

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इन्हीं रंगो से दिवाल पर जमीन पर हाथ से बने पंखों पर पेंटिंग्स बनाया जाता था । संपूर्ण मिथिला क्षेत्र या कहें लगभग संपूर्ण बिहार ,उ.प्र. की महिलायें इस तरह के पेंटिंग्स का बनाना और उपयोग करना  जानती हैं।

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वे अक्सर इस पेंटिंग्स में शिव पार्वती राम सीता इत्यादि का चित्र सांकेतिक रूप से बनाती हैं। चित्रों में जंगलों,जानवरों नदी पहाडों ,सूर्य,चंद्रमा इत्यादि के भी चित्र मिलेंगें।

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इन क्षेत्रों में शादी के समय विवाह के लिए बने स्थल पर गाय के गोबर से लीपकर उसपर चावल और विभिन्न रंगो से विवाह स्थल पर बनाया जाता है जिसमें शिव पार्वती को उकेरकर उसकी पूजा की जाती है।

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इसके अलावे बिहार ,उ.प्र. के एक बड़े क्षेत्रों में बट सावित्री की पूजा की जाती है जिसमें बास के पतले बत्तियों से हाथ पंखा पर यह पेंटिंग्स उकेरी जाती है। महिलायें आज भी इसका प्रयोग कर रही हैं और हर साल ये उत्सव होता है। इस समय आप अक्सर घरों में महिलाओं और बच्चों को हाथ से बने पंखे पर चित्र उकेरता हुआ देख सकते हैं।
मैं बिहार से हूँ और मेरे क्षेत्र मे भी और मेरे घर मे भी ऐसे पंखों पर घर की महिलाएं हर साल हाथ के बांस से बनों पंखों पर चित्र बनाती है।

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मधुबनी पेंटिंग्स को मिली अंतरराष्ट्रीय ख्याति


मधुबनी पेंटिंग्स जब भारत महोत्सव के लिए विदेश पहुँची तो अचानक ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर ये पेंटिंग्स छा गई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  इस भारतीय लोक कलाओं ने अपना विस्तार पाया।
अब तो इस पेंटिंग्स का उपयोग कपड़ो की छपाई पर भी होने लगी है। बड़ी बड़ी कपड़ा बनाने बाली कंपनियां इस पेंटिंग्स का उपयोग कर रही हैं।हम कह सकते हैं कि मधुबनी पेंटिंग्स का अब व्यापारिक उपयोग भी होने लगा है।

मधुबनी स्टेशन और मधुबनी पेंटिंग्स


मधुबनी रेलवे स्टेशन पर लगभग 10,000 वर्गफीट में मधुबनी पेटिंग्स उकेरी गई है। यह दिखने में काफी आकर्षक लग रही है साथ ही मधुबनी पेंटिंग्स को एक exposer भी मिल रहा है। इस स्टेशन पर आने बाले लोग मधुबनी पेंटिंग्स को रेलवे के दिवाल पर देखकर कौतुक और खुशी से भर जाते हैं।बहुत ही बेहतरीन चित्रकारी की गई है जिसे आप मधुबनी जाकर सहज रूप से देख सकते है और पेंटिंग्स की खुबसूरती पर फिदा हो सकते हैं।

मधुबनी पेंटिंग्स और जापान का आमंत्रण


मधुबनी पेंटिंग्स को रेलवे दिवारों पर उकेरा हुआ देखकर तथा पेंटिंग्स से मोहित होकर जापान ने भी मधुबनी पेंटिंग्स के कलाकारों को अपने यहां आमंत्रित किया है। वे भी अपने रेलवे पर इस पेंटिंग्स को उकेरवाना चाहते हैं।

मधुबनी पेंटिंग्स की स्थिति


ये तो सच है कि मधुबनी पेंटिंग्स को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। हम जब तब ऐसे समाचार अक्सर सुनते रहते हैं। अभी जापान द्वारा मधुबनी पेंटिंग्स के कलाकारों को जब जापान ने आमंत्रित किया तो उन्हें एकबार फिर व्यापक स्तर पर exposer मिला है और ये पेंटिंग्स खबरों व समाचार पत्रों में trend कर रही है। लेकिन सरकार द्वारा मधुबनी पेंटिंग्स के कलाकारों को जो उचित प्रोत्साहन मिलना चाहिए वह आज भी नहीं मिल रहा है।

निष्कर्ष


भारतीय लोक कलाएं बेहतरीन हैं।भारत विविधता बाला देश है।यहां कई प्रकार की लोक कलाएं हैं जो उच्च कोटि की हैं लेकिन सभी सरकारी उपेक्षा की शिकार हैं। आशा करते हैं कि सरकार इस पर ध्यान देगी और भारतीय लोक कलाएँ पुष्पित पल्लवित होंगी।
एक बिहारी होने के नाते मुझे बहुत गर्व है अपने इस मधुवनी पेंटिंग्स और अपनी भारतीय लोक कलाओं पर।

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