ground for Divorce
हिन्दू विधि में पति के लिए तलाक के आधार
छोटी सी ये तीन कहानियां पढ़ें -
i) पति - (पत्नी से) , आज मैं काम करते करते बहुत थक गया बहुत थक गया
हूँ । एक कप चाय बनाना यह कहते हुए उसने बैग रखा और कपडे बदलने लगा ।वह अभी अभी
काम से लौटा था ।
पत्नी चिल्लायी, हे ..मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं l मुझे नहीं बनानी
चाय वाय । पति ने फिर अनुरोध किया लेकिन पत्नी और भी गुस्से फट पड़ी ।पैर पटकने
लगी .सामने रखे टेबुल को गुस्से में उल्टा दिया । कोई चीज पति पर फेंका भी ।
पति स्तब्ध खड़ा रह गया ।
दूसरा सीन
ii) पत्नी ने गुस्से में पति से कहा कि सुनो मै तुम्हारे माँ बाप के
साथ नहीं रह सकती । तुम अपनी कमाई का सारा पैसा अपने माँ बाप पर ही खर्च देते हो। तुम्हारी कमाई सिर्फ मेरी है । मेरे लिए अलग रहने कि ब्यवस्था करो । इन लोगों को
छोडो । पति ने कहा कि तुम कैसी बात करती हो । ये मेरे माता पिता हैं । इन्होने ही
मुझे जन्म दिया पाला पोषा .लायक बनाया और जब मै कमाने लगा हूँ तो इन्हें छोड़ दूँ । ये बूढ़े हैं बीमार रहते है । मै बेटा हूँ मै छोड़ दूँ तो इनका देखभाल कौन करेगा ???
कान खोलकर सुन लो । मै अपने माँ बाप को नहीं छोड़ सकता । पत्नी ने तरह तरह की
धमकियाँ देनी शुरू की । जहर खा लुंगी कहकर डराने की कोशिश की पर पति टस से मस नहीं
हुआ । पत्नी ने गुस्से मै अपना सामान समेटा और मायके चली गयी । पति के समझाने
बुझाने का कोई असर नहीं हुआ ।
तीसरा सीन
iii) पत्नी ने पति पर झूठा केश दर्ज कर दिया l प्रताड़ना का आरोप
लगाया । दूसरी औरत से पति के नाजायज सम्बन्ध का आरोप लगाया । लेकिन न्यायलय में
सारे आरोप गलत पाए गए ।
iv) पत्नी बिना किसी कारण के पति से सम्बन्ध बनाने से इनकार करती रही पति के किसी बात का कोई प्रभाव पत्नी पर नहीं पड़ा ।
यों
तो मैंने ये तीन काल्पनिक उदाहरण आपके सामने रखे । लेकिन दांपत्य जीवन की ऐसी
कहानियां आप अपने आस पास देख सकते हैं । सबसे बड़ी धमकी जिससे पति त्रस्त रहता है
वह है पत्नी और उसके मायके वालों का दहेज व प्रताड़ना का झूठा मुकदमा में पति के नाते रिश्तेदारों को फंसा देने की धमकी
(भा. दण्ड .वि. 498 A) और ऐसे में नौबत आ जाती है तलाक की । यदि सारे उपाय फेल हो
जाय ,कोई अन्य उपाय नहीं बचे तो पति के पास तलाक लेने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं
बचता ।
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में तलाक का प्रावधान किया गया है l
तलाक के मुख्यतः 9 आधार हैं i 1) ब्याभिचार (adultry) (2) क्रूरता (cruelity) (3)
परित्याग (4) धर्म परिवर्तन (5) पागलपन (6) छुत का बीमारी वाले यौन रोग (7)
संन्यास (8) कुष्ट रोग और (9)सात साल से जीवित होने की खबर ना होना ।
कैबिनेट ने एक और आधार पर अपनी मुहर लगाई है और वह है " ब्रेकडाउन
ऑफ़ मैरेज " मतलब ऐसा मामला जिसमें समझौते की कोई गुन्जाईस नहीं बची हो ।
अब आतें है कि पति यदि तलाक चाहे तो grounds यानी आधार क्या ले । ब्याभिचार बंद कमरे की चीज है और साबित करना बेहद मुश्किल । तो आमतौर पर अक्सर
बल्कि अधिकांश मामले में " क्रूरता (cruelity)" को ही आधार बनाया जाता
है।
अब क्रूरता एक विस्तृत शब्द है. इसमें शारीरिक क्रूरता एवं मानसिक क्रूरता दोनों समाहित हैं ।मैंने इस लेख के प्रथम भाग में जो
उदाहरण लिखे हैं वो सभी क्रूरता के उदाहरण हैं जो पत्नी के द्वारा हुए । अपने माता पिता को छोड देने के लिए कहना मानसिक क्रूरता कहलायगी।थके हारे घर आने पर चाय की मांग एक स्वाभाविक मांग है लेकिन पत्नी द्वार एकदम से इन्कार करना या गुस्से में घर के समान को बिखेर देना पति को मानसिक पीडा पहुँचाने वाला कृत्य है। इन आधारों
पर माननीय उच्चतम न्यायलय व विभिन्न न्यायालयों ने पति के पक्ष में तलाक स्वीकृत
कर दिया ।
माननीय उच्चतम न्यायालय दिल्ली भारत ने हाल में ही निर्णय देते हुए कहा कि "पत्नी यदि पति पर उनके माता पिता से अलग रहने का दबाब बनाये तो पति दे सकता है तलाक ।" माननीय न्यायलय ने स्पस्ट लिखा कि भारतीय संस्कृति में एक पुत्र का धर्म है अपने माता पिता की सेवा करना । बुढ़ापे में उसका सहारा पुत्र ही है l उन्होंने आगे कहा कि हम पश्चिमी सभ्यता को नहीं अपना सकते । बेटे पर माता पिता से अलग रहने का दबाब नहीं बनाया जा सकता । यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. आर. दबे. और जस्टिस एल नागेश्वर राव के बेंच ने दिया था https://www.thehindu.com/news/national/Hindu-son-can-divorce-wife-if-she-tries-to-separate-him-from-aged-parents/article15429106.ece
उन्होंने लिखा कि भारतीय संस्कृति में ऐसा कोई चलन नहीं है कि पुत्र शादी के बाद माता पिता से अलग रहना शुरू कर दे ।
पत्नी द्वारा पति के लिए चाय ना बनाना , नाश्ता खाना न बनाना भी
न्यायलय द्वारा क्रूर ब्यबहार माना गया l देखें "कल्पना वनाम सुरेन्द्रनाथ ( AIR 1985 ALL 253 ) "
पत्नी द्वारा झूठा मुकदमा पति के विरुद्ध दर्ज करवाना भी क्रूरता
माना गया और पति का तलाक का अर्जी स्वीकृत हुआ । देखें " दीपलक्ष्मी जिंगडे
वनाम साची रामेश्वर राव जिंगडे (AIR 2010 Bom 16)
उसी तरह अकारण पति से सम्बन्ध बनाने से इनकार करना भी मानसिक क्रूरता
माना गया
देखें " अनिल भारद्वाज
वनाम निम्लेश भारद्वाज (AIR
1987 Del 111)
हम भारतियों की
अपनी संस्कृति और सभ्यता है । आज भी संयुक्त परिवार प्रथा है । हमारे यंहा तलाक के
मुक़दमे पश्चिमी देशों की तुलना में अत्यंत कम हैं । हिन्दुओं में तलाक कोई शब्द ही
नहीं था । हिंदी में तलाक का कोई पर्यायवाची शब्द नहीं मिलता ।हमें अपनी संस्कृति
को समझने की जरूरत है । हमारी संस्कृति से बेहतर कुछ नहीं ।
- Onkar
- Onkar
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